पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष मम्मद तैयब पालकी के कार्यकाल में निर्मित है सड़क
मऊ। दो साल पहले नगरपालिका परिषद द्वारा बनवाई गई नगर की सईदी रोड पर इन दिनों बने गड्ढे सड़क निर्माण के मानक की पोल खोल रहें है। यह सड़क पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष मुहम्मद तैयब पालकी के कार्यकाल में निर्मित है। अब इस सड़क पर पैदल या फिर वाहन से चलना नगर का दुरूह कार्य है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार नगर पालिका परिषद के द्वारा वर्ष 2022 में निर्मित नगर की सईदी रोड पर कन दिनों गड्ढों की भरमार है।
गड्ढे इतने है कि आप गिन नही सकते, इस सड़क के निर्माण में नगर पालिका परिषद ने करीब 01 करोड़ 43 लाख खर्च किया है
मऊ। जिले में अबैध रूप से चल रहें हॉस्पिटलो कि जाँच में यश लाइफ केयर हॉस्पिटल को भी नगर मजिस्ट्रेट ने अबैध संचालन पाते हुए सील कर दिया है। जाँच के पहले दिन आज शनिवार को की जा रही जाँच में अबैध पाए गये जीवन ज्योति हॉस्पिटल ले बचाव में यश लाइफ केयर हॉस्पिटल के चिकित्स्क सी के साहनी कुछ देर पहले जाँच टीम के सामने पैरवी में गये थे।
सी के साहनी के हॉस्पिटल की जाँच के बाद जाँच टीम ने न्यूरो केयर और लाइफ लाइन हॉस्पिटल को भी सील कर दिया है। जाँच टीम के इस हरकत से इलाकाई अबैध सस्थानों के संचालको में अफरा तफरी देखी जा रही है।
उधर इंडियन मेडिकल ऐसोसिएशन के अध्यक्ष डा पी एल गुप्ता से कब खरी दुनिया ने हों रही जाँच के बाबत प्रतिक्रिया चाही तो उन्होंने कहा कि बेसमेंट का उचित सदुपयोग कराने के लिए ज्याह जाँच हों रही है क्योकि हाल के दिनों में दिल्ली में बेसमेंट में संचालित एक सस्थान में बच्चे मर गये है।
यह पूछे जाने पर कि दिल्ली कि इस घटना के पहले भी दिल्ली के एक हॉस्पिटल में अगलगी के कारण कई नवजातो की भी तो मौत हुई थी, के जवाव में डा पी एल गुप्ता कुछ भी बोलने से इंकार कर गये।
कानूनन नहीं कोई है बैध हॉस्पिटल्स
बताते चले कि जिले में अबैध हॉस्पिटलों कि भरमार है। ऐसा कोई निजी नर्सिंग होम नही है जो नेशनल बिल्डिंग कोड के अनुसार निर्मित भवन के नक्शे की स्वीकृति के बाद संचालित हों रहा है। करीब करीब सभी हॉस्पिटल , हॉस्पिटल भवन के चारो तरफ 6 मीटर चौड़े खुले स्थान और पार्किंग की ब्यवस्था के खिलाफ अधिकतम २० फिट चौड़े और 10 फिट चौड़ी गली में संचालित हों रहें है।
मऊ। जिले में अबैध रूप स्व संचालित हॉस्पिटल्स की जिलाधिकारी द्वारा हफ्तेभर पहले दी गई जाँच आज शनिवार को नगर मजिस्ट्रेट और नगर क्षेत्राधिकारी के सहयोग से धरातल पर उतर गई है। नगर मजिस्ट्रेट के अथक प्रयास ने सीएमओ को उनके साथ जाँच में इतरने को बाध्य कर ही दिया। जाँच के पहले दिन भीटी इलाके के जीवन ज्योति अस्पताल की खामियों को नगर मजिस्ट्रेट बृजेन्द्र कुमार और पुलिस नगर क्षेत्राधिकारी मऊ ने सीएमओ के साथ जांचा । हॉस्पिटल विभाग की कृपा से बेसमेंट में संचालित हों रहा था।
उल्लेखनीय है कि जिले में अबैध रूप से संचालित अस्पतालो में सुमार प्रकाश,सत्यम, राहुल हॉस्पिटल्स साहित दर्जनों अस्पतालो को लेकर पूर्व में प्रकाशित खबरों को जिलाधिकारी प्रवीण मिश्र द्वारा गंभीरता से लेते हुए मामले की जाँच का आदेश दिया गया था।
जाँच के आदेश में सीएमओ द्वारा खुद की खामियों को छुपाते हुए जाँच कोशीर अधिकारियो से सम्पर्क नही किया जा रहा था।
नगर मजिस्ट्रेट द्वारा सार्वजनिक तौर पर सीएमओ आदि पर जाँच में सहयोग न करने की शिकायत किये जाने के बाद सीएमओ के कान पर शनिवार को जु को रेंगते हुए देखा गया।
जाँच टीम में समस्त उपजिलाधिकारियो को इलाकेवाइज शामिल करने का आदेश था, नगर में सीएमओ को नगर मजिस्ट्रेट के साथ रहना था। सीएमओ अबैध हॉस्पिटलों को संरक्षण में जाँच के बाबत नगर मजिस्ट्रेट से जानबूझकर सम्पर्क में नही आ रहें थे, बीते दिनों नगर मजिस्ट्रेट द्वारा पत्रकारों के एक सवाल के जबाब में सीएमओ को सम्पर्क में नही आने को लेकर जाँच को प्रभावित होने जैसी बातें कही गई।
सिटी मजिस्ट्रेट बृजेन्द्र कुमार जी का कथन खबरों के माध्यम से वायरल हुआ तो सीएमओ को डीएम का आदेश याद आया और वह शनिवार को नगर मजिस्ट्रेट के साथ जाँच में दिखे ।
शनिवार को जाँच की जद में भी टी इलाके का जीवन ज्योति अस्पताल रहा, अस्पताल बेसमेंट में संचालित हों रहा था। नगर मजिस्ट्रेट ने बेसमेंट संबंधित भवन को देखा और आगे की कार्यवाही करने को कहा। उधर जाँच के दौरान नगर मजिस्ट्रेट और क्षेत्राधिकारी पुलिस श्री अंजनी कुमार मिश्र के समक्ष पैरवी भी देखी गई। अस्पताल प्रबंधन पर कार्यवाही न हों इसके लिए जाँच के बींच आये डा सी एस चौहान को अपनी दलीलो के साथ वापस जाना पड़ा।
जांच में फंस रहें हॉस्पिटल प्रबंधन की पैरवी में उतरे एक ब्यक्ति साहित दो हिरासत में
अबैध् हॉस्पिटलो की जाँच के पहले दिन शनिवार जीवन ज्योति हॉस्पिटल के प्रबंधन को कापते देखा गया। हॉस्पिटल में अल्ट्रासाउंड करने वाले गैर प्रशिक्षित ब्यक्ति को जहा जाँच दल ने पुलिस को सौप दिया वही हॉस्पिटल प्रबंधन कोई कार्यवाही न करे इसके लिए सूबे के एक मंत्री का खुद आदमी बताकर फोन पर बात कराने पहुचे ब्यक्ति को भी पुलिस ने अपने कब्जे कर लिया ।
कोचिंग सेंटर साहित पूर्वहन तक दो सस्थानों की हुई जाँच
जाँच के दौरान हॉस्पिटल के बगल में अबैध तरीके से संचालित हों रही कोचिंग सेंटर को भी मजिएटरत ने सीज कर दिया है। अबैध हॉस्पिटलो और कोचिंग सेंटरों के खिलाफ जिलाधिकारी प्रवीण मिश्र के निर्देशन में चलाये जा रहें जाँच में शनिवार को पूर्वहन एक हॉस्पिटल साहित दो सेंटर्स की जाँच की गई है। जाँच को देखकर इलाके में चल रहें अबैध हॉस्पिटलों के संचालको में हड़कंप जैसी स्थिति देखने को मिल रही है।
बिना क्लाइंट की सहमति लिए विपक्षी से मिलकर अधिवक्ता पर मुकदमा वापस लेने का है आरोप
मऊ। विपक्षियों से मिलकर मुकदमे को वापस लेने वाले दीवानी कचहरी के अधिवक्ता रुपेश को बार कौंसिल उत्तर प्रदेश की अनुसाशन समिति ने तलब किया है। रुपेश कुमार पर विना अपने क्लाइंट की सहमति लिए उसके मुकदमे को वापस लेने का आरोप है।
उल्लेखनीय है कि जिले के राहुल हॉस्पिटल की मालकिन मीरा राय और उसके चिकित्सक सुरेंद्र राय के द्वारा हॉस्पिटल के भवन के नक्शे को तथ्यगोपन कर नियत प्राधिकारी दफ्तर से पास कराने के आरोप के साथ सरकारी अफसर के जाली अनापत्ति प्रमाण पत्र को भी नक्शे को पास कराने में अभिलेखो में लगाने के आरोप के साथ श्रीमान मुख्य दंदधिकारी मऊ की अदालत में मुकदमा दाखिल था।
इस मुकदमे कि पैरवी के लिए पीड़ित ने अधिवक्ता रुपेश को अपना वकील नियुक्त किया था। रुपेश ने विना पीड़ित की सहमति लिए और विपक्षी से मिलकर अदालत में झूठी बाते रखकर मुकदमे को ही वापस ले लिया है। इसी आरोप को पीड़ित ने बार कौंसिल में अधिवक्ता के खिलाफ प्रस्तुत किया है। कौंसिल की अनुसाशन समिति के समक्ष 11 अगस्त को रुपेश को अपना पक्ष रखना है।
मऊ। जिले में अबैध हॉस्पिटलों की जाँच को बनी टीम का नगर मजिस्ट्रेट मऊ को साथ नही मिल रहा है। सीएमओ के अधीन गठित चिकित्स्कों की टीम के किसी भी डॉक्टर ने जाँच के वावत नगर मजिस्ट्रेट से सम्पर्क नही किया है।
विभागीय सुत्रो के अनुसार जिले में अबैध हॉस्पिटल्स की जाँच के लिए जिलाधिकारी के आदेश पर सोएमओ द्वारा गठित टीम के किसी भी डॉक्टर द्वारा जाँच के वावत नगर मजिस्ट्रेट से सम्पर्क नही किया है। टीम के डॉक्टर्स का नगर मजिस्ट्रेट से सम्पर्क नही करने के कारण जिले के अबैध हॉस्पिटलों के खिलाफ जाँच का कार्य अब तक बाधित है।
बताते चले कि सीएमओ दफ्तर जिले मैबैध हॉस्पिटलों के संचालन को निर्वाध चलने देना चाहते है और जबसे जिलाधिकारी के द्वारा जांच के लियटीम गठित करने का आदेश दिया गया है तब से सीएमओ दफ्तर के जिम्मेदारो में परेशानी है। परेशान जिम्मेदार हॉस्पिटलों की जाँच न हों इसके लिए पदीय अधिकारों का दुरूपयोग करने में कोई कर आहेश नही छोड़ने के मूड में है।
मऊ। दीवानी कचहरी का सुरक्षा घेरा तोड़कर घुसे अबैध असलहे धारियों को पुलिस के कब्जे से छुड़ाने के मामले मे पुलिस द्वारा दर्ज मुकदमे की निष्पक्ष जांच के लिए उच्च न्यायालय इलाहाबाद मे जनहित याचिका दाखिल किये जाने की खबर है। यह याचिका अधिवक्ता ब्रह्मा नन्द पाण्डेय की ओर से अधिवक्ता सुधीर कुमार सिंह द्वारा दाखिल की गई है।
उल्लेखनीय है कि बीते २८ फरवरी २०२४ को दीवानी कचहरी का सुरक्षा घेरा तोड़कर घुसे तीन अबैध असलहेधारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इसी बींच दीवानी कचहरी के एक बदमाश अधिवक्ता द्वारा गिरोह मे आकर उन तीन अबैध असलहेधारियों को पुलिस के कब्जे से छुड़ा लिया था।
पुलिस ने मामले मे तीन नामजद साहित डेढ़ से दो सौ अधिवक्ताओं के खिलाफ ३५३ सहित भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओ मे मुकदमा पंजीकृत करते हुए कुछ लोगो को गिरफ्तार किया था।
मामले मे पुलिस द्वारा डेढ़ से दो सौ अधिवक्ताओं के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज होने के कारण मामले की निष्पक्ष जाँच के लिए अधिवक्ता ब्रह्मा नन्द पाण्डेय ने अदालत का दरवाजा दुबारा खटखटाया है।
इसके पूर्व भी अधिवक्ता ने मामले की निष्पक्ष जाँच के लिए जनहित याचिका दाखिल किया था। पुलिस द्वारा मऊ कोतवाली मे अपराध संख्या ६७/२०२४ पर यह मामला दर्ज है।
अधिव्क्ता रुपेश पाण्डेय को बार काउंसिल की नोटिस, अधिवक्ता पर बिपक्षी से मिलकर मुकदमा वापस लेने का आरोप
मऊ। विपक्षियों से मिलकर मुकदमा वापस लेने वाले दीवानी कचहरी के अधिवक्ता रुपेश पाण्डेय को बार काउंसिल ने 11 अगस्त को तलब किया है। रुपेश पर अपने मूवक्कील की बिना सहमति लिए विपक्षियों से मिलकर पुरा मुकदमा वापस लेने का आरोप है।
ब्रह्मा नन्द पाण्डेय की ओर से अधिवक्ता रुपेश कुमार पाण्डेय के खिलाफ बार कौंसिल में अधिवक्ता अधिनियम की धारा 35 में प्रार्थना पत्र दिया गया है। बार कौंसिल प्रयागराज की ओर से अधिवक्ता रुपेश कुमार पाण्डेय के खिलाफ प्रस्तुत शिकायत में उनके पर विपक्षी से मिलकर मुकदमे को वापस लेने का आरोप है।
अधिवक्ता सुधीर कुमार सिंह ने वंदना नर्सिंग होम की अबिधाणिकता को लेकर उच्च न्यायालय में दाखिल किया था जनहित याचिका
23 को सुनवाई दौरान वंदना नर्सिंग होम प्रबंधन ने जनहित याचिका में लगे आरोप को स्वीकार कर, हाई टेंशन् वायर को खुद हटाने का अदालत को दिया भरोसा
मऊ। वंदना नर्सिंग होम ने खुद के भवन के उपर से गुजर रहें हाई पावर वायर को हटाने का उच्च न्यायालय को अस्वाशन दे कर दूसरी आफत मोल ले लिया है। नर्सिंग होम की वकालत में नर्सिंग होम अपने ही “जाल” में फंस गया है। यानी साफ हो चुका है कि बिना हाई पावर वायर के हटे उनका हॉस्पिटल संचालित नही हो सकता है । हॉस्पिटल प्रबंधन ने हाई टेंशन वायर को खुद के उपर से गुजरने की स्वीकारोक्ति दी है।
हॉस्पिटल सूत्रों के अनुसार वंदना नर्सिंग होम के खिलाफ उच्च न्यायालय में अधिवक्ता सुधीर कुमार सिंह की ओर से इनपर्सन दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान इन्होने अपने वकील के माध्यम से हॉस्पिटल भवन के उपर से हाई टेंशन वायर के गुजरने की स्वीकृति के साथ उसको हटवा लेने का अदालत को अस्वाशन दिया है।
हॉस्पिटल प्रबंधन के इस अस्वाशन को देखते हुए अदालत ने जनहित याचिका को डिस्पोज कर मामले में आदेश जारी कर दिया है। आदेश के मुताविक वंदना नर्सिंग होम को अपने अस्पताल भवन के उपर से गुजर रहें हाई टेंशन वायर को हटाने के दिये गये अश्वासन को स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय ने याचिका डिस्पोज कर दिया है।
अदालत ने याचिककर्ता को भी आगे की जाने वाली विधिक कार्यवाही में सक्षम अधिकारी के समक्ष भाग लेने के लिए प्राधिकृत किया है।
चिल्लाते कहे सही नहीं कर रही हो, यहाँ काम करना है तो हमारे अनुसार करना होगा
आर्डरशीट की प्रति मंगलवार को मिलते ही कचहरी परिसर मे दिन भर रही चर्चा
मऊ। महिला न्यायिक अधिकारी से एक अधिवक्ता द्वारा न्यायालय में यह कहना कि आप ” चेंबर में भी मुझसे नहीं मिल रही है “, सही नहीं कर रही हो, यहाँ काम करना है तो हमारे अनुसार करना होगा ” के बात की मंगलवार को दिनभर चर्चा रही। अधिवक्ता के इस कथन के प्रमाणक जैसे ही एक अधिवक्ता के हाथ लगा, दीवानी कचहरी में चर्चाओ का बाजार गर्म हो गया। अधिवक्ता द्वारा कहा गया यह कथन किसी और से नही बल्कि सिविल जज जूनियर डिवीजन सदर मऊ से है। सीजेजेड़ी ने अधिवक्ता के इस कथन को मामले की ऑर्डरसीट में उल्लिखित किया गया है। इस की जानकारी मंगलवार को आर्डरशीट की नकल मिलने पर अधिवक्ताओ को हुई। तो पढ़कर सभी दंग रह गए, जिसकी चर्चा दीवानी कचहरी परिसर में दिनभर होती रही। इसी अधिवक्ता द्वारा कुछ दिन पूर्व एक अन्य पिठासीन अधिकारी से दुर्ब्यवहार किया गया है।
अदालती सूत्रों के अनुसार न्यायालय सिविल जज जूनियर डिवीजन सदर मऊ के न्यायालय में मुकदमा संख्या 727 सन 1990 विश्वकर्मी बनाम गामा आदि के मामले में सुनवाई के दौरान 9 जनवरी 24 को पत्रावली के आर्डरशीट में महिला न्यायिक अधिकारी ने अंकित किया है। पत्रावली पेश हुई, प्रतिवादी अधिवक्ता मय प्रतिवादी उपस्थित वादी मय अधिवक्ता उपस्थित।
पत्रावली में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अजय सिंह डायस की तरफ आक्रमक रवैया में आए और कहने लगे आप सिर्फ एक्शन प्लान और माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश वाली पत्रावलियां सुनती है। आप उन्हें क्यों सुनती है, आप और नई पत्रावलियां भी सुनो वरना अच्छा नहीं होगा। आप चेंबर में भी मुझसे नहीं मिल रही है।
न्यायिक अधिकारी ने ऑर्डरशीट में आगे लिखा है कि मैंने कहा कि आपकी बातों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। तो भी वो चिल्लाते रहे कि आप सही नहीं कर रही है, यहां काम करना है तो हमारे अनुसार ही करना होगा। पिठासीन अधिकारी ने मामले की ऑर्डर सीट में लिखा है कि उनके द्वारा बार-बार आश्वासन दिए जाने पर भी वे अधिवक्ता लगातार चिल्लाते रहे और बोले सोच लीजिए आप अन्यथा फिर देखते हैं क्या होगा। यह कहते आंखें दिखाते हुए चले गए।
सिविल जज जूनियर डिवीजन सदर के उक्त आदेश की जानकारी मंगलवार को दीवानी कचहरी मे अधिवक्ताओ को हुई तो पढ़कर सभी हैरान रह गए कि महिला न्यायिक अधिकारी को न्यायालय मे किसी अधिवक्ता द्बारा ऐसा कहा जाना किसी भी दशा मे सही नहीं है। जिसे लेकर कचहरी परिसर मे चर्चाए होती रही , इस अधिवक्ता द्वारा हाल के दिनों में एक और जज से अदालत में दुर्ब्यवहार किया जा चुका है, जिसमे अगली कार्यवाही का लोगो को इंतज़ार है।
पुलिस् के कब्जे से अवैध असलहेधारियो को छुड़ाने के मामले में जनहित याचिका की तैयारी
मऊ । दीवानी कचहरी में बीते २८ फरवरी २०२४ को पुलिस की कास्टडी से अबैध असलहेधारियो को छुड़ाने में पुलिस द्वारा १५० से २०० अधिवक्ताओं के खुलाफ दर्ज मामले की निष्पक्ष जाँच के लिए जल्द ही उच्च न्यायालय का अधिवक्ता ब्रह्मा नन्द पाण्डेय के द्वारा जनहित याचिका दाखिल की जाएगी। पूर्व में अधिवक्ता इसी मामले में जनहित याचिका दाखिल कर चुके है।
पुलिस् सूत्रों के अनुसार के दीवानी कचहरी मऊ में २८ फ़रवरी २०२४ को चार पहिया सवार बदमाशों ने पुलिस सुरक्षा को तोड़कर दीवानी कचहरी में घुस गये थे। मामले में पुलिस द्वारा चार पहिया वाहन सवार बदमाशों में शामिल अबैध असलहेधारियो को मौके पर गिरफ्तार कर लिया गया था।
गिरफ्तारी के बाद बदमाशों के संरक्षण दाता बदमाश अधिवक्ता द्वारा द्वारा कुछ अधिवक्ताओं की गोल बनाकर अबैध असलहेधारियों को पुलिस के कब्जे से छुड़ा लिया गया था। मामले में पुलिस ने कुछ लोगो को नामजद करते हुए अज्ञात डेढ़ सौ से दो सौ अधिवक्ताओं के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा आदि के अपराध के आरोप में मुकदमा पंजीकृत किया है।
इस मुकदमे की निष्पक्ष जांच के लिए उच्च न्यायालय के अधिवक्या ब्रह्मा नन्द पाण्डेय द्वारा पूर्व में जनहित याचिका दाखिल की गई थी जिसमे अदालत में सरकार ने मामले आरोपित अधिवक्ताओं की संख्या को अधिक बताते हुए अदालत समय ले लिया था। अब जब विवेचना के 3 माह से अधिक का समय बित गया है, आज तक मामले में पुलिस की कार्यवाही का अता पता नही है, तो इस मामले को लेकर दुबारा मा उच्च न्यायालय में जनहित याचिका की तैयारी की जा रही है।
हॉस्पिटल की बिल्डिंग है पोखरे में तो हॉस्पिटल का भवन भी है एनबीसी २००५ और महायोजना के खिलाफ
हॉस्पिटल के सामने रोज खड़े होते है बे- तरतीब वाहन, सड़क तक रहता है अबैध कब्जा फिर भी जिम्मेदार नही करते कार्यवाही
नियमानुसार हॉस्पिटल में नही है पार्किंग की व्यवस्था और न है हॉस्पिटल भवन के चारो ओर एनबीसी में प्रस्तावित ६ मीटर प्रसवित सेट बैक
मऊ । लिफाफे के जोर पर कैसे कोई अबैध हॉस्पिटल इलाज के नाम पर कुलांचे मारता है ? यह जानना हो तो जिला प्रसाशन की नाक के नीचे पोखरे की जमीन में स्थित राहुल हॉस्पिटल को देखिये।
इसके स्वामी ने पर्यावरण को प्रभावित करती जमीन पर हॉस्पिटल का भवन ही नही बनाया है, यह हॉस्पिटल का भवन पुरी तरह से नेशनल बिल्डिंग कोड और जिले की महायोजना को मुह भी चिढ़ा रहा है, बावजूद इसके इस हॉस्पिटल के अबैध संचालन को लेकर जिला प्रसाशन मुह खोलने को तैयार नही है।
सड़क पर बे- तरतीब खड़े वाहनो का कारण है राहुल हॉस्पिटल
अबैध होकर अधिकारियो में लिफाफा बांट कर राहुल ने जिस घमड़ में आधी सड़क को भी कब्जा कर रखा है। यह उसके लिफाफे का जोर कहे या फिर राजनितिक ऊंची रसुख ! इस अबैध हॉस्पिटल का कोई पुरसाहाल नही है। बेरोक टोक चल रहा है यह हॉस्पिटल।
मऊ। दीवानी कचहरी में कार्यरत न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में विचाराधीन एक मुकदमे में अभियुक्तों को दुष्कर्म की धारा के अतिरिक्त अन्य धाराओं में तलब करने के लिए प्रार्थना पत्र की सुनवाई के दौरान एक अधिवक्ता ने न्यायिक मजिस्ट्रेट से कहा कि आप नौकर हैं, आप सरकार से पैसा लेते हैं, मैं नहीं, औकात में रह कर बात करिए। मैं उम्र व औकात में आपसे बहुत बड़ा हूं, आपकी औकात क्या है मेरे सामने ?— आप जानते नहीं हैं, आप किससे बात कर रहे हैं। मैं बार का पूर्व महामंत्री हूं ,आपको आपकी औकात दिखा दूंगा। यह डायलॉग किसी फिल्म का नहीं बल्कि दीवानी कचहरी के अधिवक्ता अजय सिंह के है, इन्होने एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान न्यायिक मजिस्ट्रेट से कहा है।
न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मामले का संज्ञान लेते हुए अधिवक्ता की बातों को पत्रावली की आर्डरशीट में उल्लेख करते हुए, जनपद न्यायाधीश को आदेश की एक प्रति के साथ ही पत्र प्रेषित किया। तथा अनुरोध किया कि वह उचित समझे तो अधिवक्ता के द्वारा प्रयोग की गई अभद्र भाषा व अमर्यादित आचरण को उच्च न्यायालय इलाहाबाद व उत्तर प्रदेश बार काउंसिल इलाहाबाद के संज्ञान में लाने की कृपा करें। साथ ही मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को भी आदेश की प्रति इस आशय के साथ भेजा कि अधिवक्ता। अजय कुमार सिंह की सभी पत्रावलियां जो उनके न्यायालय में लंबित हैं उसे किसी अन्य न्यायालय में अंतरित कर दिया जाए।
मामले के अनुसार न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में परिवाद संख्या 30 832 सन् 23 संगीता बनाम सूर्यभान चौहान विचाराधीन चल रहा है। जिसमें 19 जुलाई की तिथि नियत थी। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पत्रावली के आर्डरशीट में लिखा कि भोजनावकाश के बाद कार्य समाप्त कर विश्राम कक्ष में बैठकर 3:15 पीएम पर प्रकीर्ण मामलों के आदेश की जांच कर रहा था। मुझे 3:30 पीएम पर बेलबांड स्वीकार करने हेतु कोर्ट में बैठना था। इस दौरान परिवादी के अधिवक्ता अजय कुमार सिंह विश्राम कक्ष में आए बैठ गए, और कहने लगे कि पत्रावली में पारित आदेशानुसार मैंने गवाहों की सूची प्रस्तुत की है।
मामले में गवाहों को न बुलाकर सुनवाई कर अभियुक्तों को धारा 376 भादवि के अतिरिक्त अन्य धाराओं में तलब कर दीजिए। उस समय पेशकार आशुलिपि और अर्दली भी मौजूद थे पेशकार ने कहा कि प्रार्थना पत्र विलंब से आया है। इस दौरान अधिवक्ता अजय कुमार सिंह बोले की सुनवाई आज ही होगी। मैंने उनसे कहा कि आप कोर्ट में चलिए सुनवाई वही होगी। इस बात पर वह नाराज हो गए और बोले कि आप मुझे वहां जाने को क्यों कह रहे हैं। आप तो यहीं बैठे हुए हैं आपको कोर्ट में होना चाहिए,, वह खड़े हो हुए और गुस्से से मेरी तरफ झुककर हाथ दिखाते हुए बोले कि मैं आपका चपरासी हूं क्या, जो आप जब चाहे बुला ले और मैं आपके इंतजार में खड़ा रहूं।
आप नौकर हैं, आप सरकार से पैसा लेते हैं, मैं नहीं। औकात में रहकर बात करिए, मैं उम्र और औकात में आपसे बहुत बड़ा हूं। आपकी औकात क्या है मेरे सामने ? आप मेरी इज्जत करेंगे तो ही आपको इज्जत मिलेगी, आप जानते नहीं है आप किससे बात कर रहे हैं। मैं बार का पूर्व महामंत्री हूं आपको आपकी औकात दिखा दूंगा।
न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आर्डरशीट में उल्लेख किया कि अधिवक्ता अजय कुमार सिंह ने अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए अमर्यादित आचरण एवं व्यवहार दर्शाया है।