Category: इलाहाबाद

  • प्रयागराज मे अबैध हॉस्पिटलो की भरमार, अफसर मौन

    प्रयागराज मे अबैध हॉस्पिटलो की भरमार, अफसर मौन


    प्रयागराज । जिला प्रशासन की नाक के निचे रिहायसी भवनो मे निजी नर्सिंग होम के संचालन की खबर है।

    झूंसी से लेकर मुख्यालय के अधिकांश इलाको मे रिहायसी भवनो मे नियम विरुद्ध नर्सिंग होम का संचालन देखा जा रहा है। मजे की बात यह है की नेशनल बिल्डिंग कोड के वगैर निर्मित भवनो मे संचालित ये हॉस्पिटल मरीजों को १० मिनट देने पर ४०० रुपये तक की वसूली कर रहे है।


    विभागीय सूत्रों के अनुसार पूरे जिले मे विना नेशनल बिल्डिंग कोड के अनुसार निर्मित रिहायसी भवनो मे न तो अग्नि समन की ब्यबस्था है और न ही पर्याप्त पैरामेडिकल स्टॉफ की उपस्थिति है।

    जिला मुख्यालय के अधिकांश गलियों मे रिहायसी भवनो मे संचालित ये हॉस्पिटल नियमों के खिलाफ है। खरी दुनिया ने सीएमओ के मोबाइल नम्बर पर इसका कारण जानने के लिए जब फोन किया तो उनके द्वारा मोबाइल नही पिक किया गया।

  • हाईकोर्ट ने पीठासीन अधिकारी पर आरोप लगाने वाले वादी पर लगाया 20 हजार रुपये का हर्जाना

    हाईकोर्ट ने पीठासीन अधिकारी पर आरोप लगाने वाले वादी पर लगाया 20 हजार रुपये का हर्जाना

    प्रयागराज)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यायिक प्रणाली के खिलाफ गैर-जिम्मेदाराना आरोपों के प्रचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए वादी पर 20 हजार रुपये का हर्जाना लगाया। उसने पीठासीन न्यायाधीश के खिलाफ पक्षपात का आरोप लगाते हुए अपने मामले को स्थानांतरित करने की मांग की थी।

    कोर्ट ने कहा कि अदालतों पर ऐसे आरोप लगाने की इस तरह की प्रवृति न्याय प्रशासन के व्यापक हित में नहीं है। लिहाजा, इसे सख्ती से खत्म किया जाना चाहिए। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की पीठ ने चंदौली की याची अलियारी बनाम रंजना व पांच अन्य की ओर से दाखिल दीवानी पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए दिया है।

    मामले में याची ने जिला न्यायाधीश द्वारा दिए गए आदेश को चुनौती दी गई थी। जिला न्यायाधीश ने उसकी ओर से दाखिल एक चुनावी अर्जी को स्थानांतरित करने की मांग को खारिज कर दिया था। अर्जी में कहा गया था कि प्रतिवादी निर्वाचित प्रधान के पति जिला न्यायालय चंदौली में वकालत करते हैं। सुनवाई दौरान प्रधानपति को पीठासीन अधिकारी के कक्ष में जाते हुए देखा था। कक्ष से निकलने के बाद उसने कथित तौर पर अपने सहयोगियों के सामने विजयी होकर दावा किया कि उन्होंने पीठासीन अधिकारी से बात की है और अब चुनाव याचिका का फैसला निश्चित रूप से उनकी पत्नी के पक्ष में होगा।

    हालांकि, प्रतिवादी ने उक्त आरोपों से इंकार किया। जिला न्यायाधीश चंदौली ने इस आधार पर दाखिल स्थानांतरित अर्जी को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि जिन आरोपों पर स्थानांतरण की मांग की गई है, वे नागरिकों के बीच न्यायालयों के अधिकार और नैतिक ईमानदारी को खराब दृष्टि से देखने की प्रवृत्ति को प्रतिबिंबित करते हैं, जिससे न्याय व्यवस्था को नुकसान पहुंचता है। कोर्ट ने याची पर 20 हजार रुपये का हर्जाना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी।

  • हाईकोर्ट से 79 वर्षीय रेल कर्मी को मिला न्याय

    हाईकोर्ट से 79 वर्षीय रेल कर्मी को मिला न्याय

    –सेवा समाप्ति आदेश रद्द कर सेवा जनित परिलाभ के भुगतान का निर्देश

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेलवे के सीनियर रक्षक की सेवा समाप्ति आदेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया और सेवा जनित सभी परिलाभ पाने का हकदार ठहराया है।

    कोर्ट ने काम नहीं तो दाम नहीं के सिद्धांत के तहत कहा कि याची को बकाया वेतन नहीं मिलेगा। किंतु सेवा जनित अन्य परिलाभ पाने का उसे हक है, जिसे रेलवे को तीन माह में भुगतान करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन ने पांचू गोपाल घोष की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

    मालूम हो कि बिना विभागीय जांच के याची को सेवा से हटा दिया गया। अपील भी खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने 7 मार्च 2010 के आदेश से बर्खास्तगी आदेश पर रोक लगाते हुए विभागीय जांच कर नये सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश दिया। इसके बाद विभागीय जांच शुरू की गई। पांच आरोप लगाये गये। जांच कमेटी ने 4 मई 12 को जांच रिपोर्ट दी और कहा कि मामला 35 साल पुराना है। आरोप साबित करने के लिए दस्तावेज उपलब्ध नहीं है। आरोप सिद्ध नहीं पाया गया। किंतु यह भी कारण नहीं बताया कि आखिर साक्ष्य क्यों उपलब्ध नहीं थे।

    विभागीय अधिकारी इस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हुए। कहा कि 1976 की बर्खास्तगी आदेश को साक्ष्य के रूप में स्वीकार करना चाहिए था। और 1976 के बर्खास्तगी आदेश के आधार पर नये सिरे से 5 जून 12 को बर्खास्त कर दिया। कोर्ट ने इसे कल्पनातीत दिग्भ्रमित आदेश करार देते हुए रद्द कर दिया। कहा कि हाईकोर्ट ने जांच का आदेश दिया था। जांच रिपोर्ट में पांचों आरोप सिद्ध नहीं हुए। सिद्ध करने के लिए साक्ष्य नहीं मिले।

    कोर्ट ने कहा याची को 79 साल की आयु में विभाग को फिर निर्णय लेने के लिए भेजना उचित नहीं होगा। कहा विभाग के काम के चलते यह स्थिति पैदा हुई। जांच में आरोप साबित नहीं हुआ। इसलिए बर्खास्तगी अवैध है।

  • 72,825 ट्रेनी टीचर भर्ती में शेष 12091 अभ्यर्थियों की फिर से काउंसिलिंग कराने के निर्देश के खिलाफ अपील मंजूर

    72,825 ट्रेनी टीचर भर्ती में शेष 12091 अभ्यर्थियों की फिर से काउंसिलिंग कराने के निर्देश के खिलाफ अपील मंजूर

    -हाईकोर्ट ने कहा, 13 वर्ष बाद काउंसलिंग का नहीं दिया जा सकता आदेश

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज पारित एक निर्णय में 30 नवम्बर 2011 को जूनियर बेसिक स्कूलों में 72,825 ट्रेनी टीचरों की भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में से सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई 12091 श्रेणी के बचे अभ्यर्थियों को बुलाकर फिर से काउंसलिंग कराने के एकल जज के आदेश को सही नहीं माना। कोर्ट ने एकल जज के आदेश के खिलाफ प्रदेश सरकार व बेसिक शिक्षा बोर्ड की विशेष अपील को मंजूर कर एकल जज के आदेश को रद्द कर दिया है।

    कोर्ट ने कहा है कि 13 वर्ष बाद इस प्रकार से काउंसलिंग कराने का आदेश नहीं दिया जा सकता है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने ट्रेनी टीचरों की भर्ती प्रक्रिया को सही ठहराया है। उक्त दोनों विशेष अपीलों पर जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा एवं जस्टिस एस क्यू एच रिजवी की खंडपीठ ने कई दिनों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। हाईकोर्ट की विशेष अपील बेंच ने आज इन अपीलों पर फैसला देते हुए सरकार की विशेष अपील मंजूर कर ली।

    उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता रामानंद पांडेय तथा बेसिक शिक्षा बोर्ड की तरफ से कुष्मांडा शाही ने एकल जज के आदेश के खिलाफ विशेष अपील दाखिल की थी। इन अपीलों में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 एवं बाद में इस मामले में अभ्यर्थियों द्वारा दाखिल अवमानना केस में 13 दिसम्बर 2019 को सरकार द्वारा ट्रेनी टीचरों की सम्पन्न की गई भर्ती को सही मानते हुए अवमानना का केस खत्म कर दिया था। ऐसे में 2011 की भर्ती को लेकर फिर से शेष बचे अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग कराने का एकल जज द्वारा निर्देश दिया जाना गैरकानूनी है।

    वहीं दूसरी तरफ अभ्यर्थियों विनय कुमार पांडेय व अन्य की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे, एच एन सिंह, आरके ओझा, अनिल तिवारी का कहना था कि एकल जज द्वारा पारित आदेश में कोई त्रुटि नहीं है। बहस की गई कि सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अवमानना वाद में सही तथ्य प्रस्तुत नहीं किया गया, जिस कारण इस प्रकार का आदेश पारित हुआ और सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती को सही मानते हुए अवमानना केस समाप्त कर दिया।

    मालूम हो कि, हाईकोर्ट के एकल जज ने बेसिक शिक्षा परिषद में 72,825 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के मामले में निर्देश दिया था कि इस भर्ती में बचे हुए 12091 पदों पर काउंसिलिंग कराने के लिए विज्ञापन जारी किया जाए और काउंसिलिंग का परिणाम फरवरी के अंतिम सप्ताह तक जारी कर दिया जाए। कोर्ट के इस आदेश से लगभग 12 वर्षों से चले आ रहे इस भर्ती विवाद का पटाक्षेप होने की उम्मीद थी।

    याची वकीलों का कहना था कि 72,825 सहायक अध्यापकों की भर्ती में से कोर्ट के आदेश के परिणाम स्वरूप 66,655 पदों पर चयन हो गया है और चयनित अभ्यर्थियों ने कार्यभार भी ग्रहण कर लिया है। लेकिन 12091 पद अब भी शेष रह गए हैं, जिन पर काउंसिलिंग नहीं कराई गई और चयन की सीमा में आने वाले अभ्यर्थियों की नियुक्ति नहीं हो सकी है।

    एकल जज ने कहा था कि यह आश्चर्यजनक है कि काउंसिलिंग की जानकारी होने के बावजूद चयनित अभ्यर्थी काउंसिलिंग में न शामिल होकर मुकदमे में लगे रहे। जबकि काउंसिलिंग से संबंधित कोई तथ्य रिकॉर्ड पर नहीं है। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद 12091 पदों पर नए सिरे से काउंसिलिंग के लिए विज्ञापन जारी करें और इस कैटेगरी में आने वाले उन अभ्यर्थियों को बुलाया जाए, जो पूर्व में काउंसिलिंग में शामिल नहीं हुए हैं। कोर्ट ने कहा था कि काउंसिलिंग पांच फरवरी 2024 से शुरू होने वाले सप्ताह में कराई जाए।

  • कांग्रेस के न्याय पत्र से बदलेगी देश की तस्वीर : अनुग्रह नारायण सिंह

    कांग्रेस के न्याय पत्र से बदलेगी देश की तस्वीर : अनुग्रह नारायण सिंह

    प्रयागराज,। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा लोकसभा चुनाव के लिए जारी न्याय पत्र को पत्रकार वार्ता के दौरान कांग्रेस के नेता अनुग्रह नारायण सिंह ने पांच न्याय और 25 गारंटियों को उत्तर प्रदेश के लिए विशेष प्रासंगिक बताया। कहा कि इससे कांग्रेस देश की तस्वीर बदलेगी।

    शुक्रवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से अनुग्रह नारायण सिंह ने कहा कि वर्क, वेल्थ और वेलफेयर अर्थात रोजगार आर्थिक समृद्धि और जनकल्याण इसके बुनियादी आधार तत्व हैं। जहां युवा न्याय के तहत शिक्षित युवाओं को इंटर्नशिप के जरिये वार्षिक एक लाख रुपये की उनकी पहली पक्की नौकरी सुनिश्चित की जाएगी, वहीं केंद्र सरकार के 30 लाख रिक्त पदों को अविलम्ब भरा जाएगा। युवाओं के स्वरोजगार को प्रेरित करते हुए 5000 करोड़ का स्टार्टअप फंड बनाया जाएगा तथा नौकरियों के लिए भरे जाने फार्म को निःशुल्क किया जाएगा। इसके साथ ही कक्षा 1-12 तक के छात्रों की निःशुल्क शिक्षा सुनिश्चित की जाएगी।

    उन्होंने अग्निपथ योजना को युवाओं के भविष्य को आग में झोंकने वाला बताया। उन्होंने कहा कि अपने पूंजीपति मित्रों के साथ नरेंद्र मोदी खुद तो राजपथ पर चलना चाहते हैं और ऐसी योजनाओं के माध्यम से नौजवानों के भविष्य के लिए अंगारे बिछा रहे हैं। कांग्रेस के सत्ता में आते ही इसे खत्म कर स्थायी भर्ती सुनिश्चित की जाएगी। कांग्रेस के नारी न्याय पर उन्होंने कहा कि पार्टी महिला आरक्षण लागू करेगी और सरकारी नौकरियों में महिलाओं की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी सुनिश्चित करेगी।

    महानगर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष प्रदीप मिश्र अंशुमन ने कहा कि श्रमिक न्याय के माध्यम से कांग्रेस देश के श्रमिकों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। समाज के सभी वर्गो की राष्ट्र निर्माण में सहभागिता हो, इस उद्देश्य से कांग्रेस ने भागीदारी न्याय के तहत जाति जनगणना कराने आरक्षित वर्गों के सभी रिक्त पदों को एक वर्ष में भरने, संविदाकर्मियों को नियमित करने, शिक्षा, रोजगार, स्वस्थ आदि में अल्पसंख्यकों को बिना किसी भेदभाव के अवसर उपलब्ध कराने की गारंटी शामिल है।

    इस दौरान उज्ज्वल रमण सिंह, शेखर बहुगुणा सहित अन्य लोग भी उपस्थित रहे। कांग्रेस से प्रत्याशी के बारे में पूछे जाने पर बताया गया कि पार्टी ने अभी फैसला नहीं लिया है, जो भी उम्मीदवार घोषित होंगे उन्हें जिताने का प्रयास किया जायेगा।

  • यूपी के पांच जिला जजों का तबादला, संजीव पांडेय बने वाराणसी के जिला जज

    यूपी के पांच जिला जजों का तबादला, संजीव पांडेय बने वाराणसी के जिला जज

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रशासन ने पांच जिलों के जिला जजों का तबादला कर दिया है। संजीव पांडेय को वाराणसी का जिला जज बनाया गया है। इसके साथ ही अन्य जिला अदालतों को नए जिला जज मिले हैं।

    महानिबंधक राजीव भारती की ओर से जारी स्थानांतरण सूची में बागपत के जिला जज संजीव पांडेय को अब वाराणसी का जिला जज बनाया गया है। सिद्धार्थनगर के जिला जज संजय कुमार मलिक को बागपत की जिम्मेदारी दी गई है। इसी तरह बस्ती के पीठासीन अधिकारी, भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्वास प्राधिकारी विजेंद्र कुमार सिंह को सिद्धार्थनगर का जिला जज बनाया गया है। जबकि, ललितपुर के जिला जज चंद्रोदय कुमार को कन्नौज का, झांसी वाणिज्यिक न्यायालय के पीठासीन अधिकारी रवींद्र विक्रम सिंह को सोनभद्र का जिला जज बनाया गया है।

  • यूपी के वाराणसी मे एक दरोगा का लात घुसे से स्वागत, चार को पुलिस पर छोड़ने का आरोप

    यूपी के वाराणसी मे एक दरोगा का लात घुसे से स्वागत, चार को पुलिस पर छोड़ने का आरोप


    प्रयागराज /वाराणसी। यूपी मे राम राज्य की तस्वीर एक्स हेंडल पर वायरल हो रही है जो समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव द्वारा अपने ट्विटर हेंडल से जारी किया गया है।


    इस वायरल वीडियो मे हिंदूवादी संगठन के लोगो के द्वारा एक इंस्पेक्टर की लात घुसो से स्वागत किया जा रहा है। इसी विडिओ मे दरोगा द्वारा थाने मे रिपोर्ट लिखवाने का भी उल्लेख किया गया है।

    मामले मे पुलिस ने चर युवकों को हिरासत मे भी लिया लेकिन उपर से आये दबाव के कारण पुलिस पर उन्हे छोड़ने का आरोप भी लग रहा है। मामला वाराणसी के गोदौलिया चौराहे का है। दरोगा का नाम आनंद प्रकाश बताया जा रहा है

  • हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के चुनाव में अनिल तिवारी व अखिलेश आगे

    हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के चुनाव में अनिल तिवारी व अखिलेश आगे

    प्रयागराज। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के वार्षिक चुनाव के समस्त मत पत्रों की 5 एवं 6 अप्रैल को छंटाई के बाद मतगणना सायं 5 बजे तक हुई। जिसमें अध्यक्ष पद के लिए अनिल तिवारी एवं महासचिव के लिए अखिलेश कुमार शर्मा आगे चल रहे हैं।

    चुनाव अधिकारी चन्दन शर्मा एवं वशिष्ठ तिवारी ने बताया है कि कल 07 अप्रैल को सुबह 10 बजे से सायं 5 बजे तक लाइब्रेरी हाल में मतगणना की जायेगी। आज तक की मतगणना के अनुसार अध्यक्ष के लिए अनिल तिवारी 626, राकेश पाण्डेय 533, वीर सिंह 291, महेन्द्र बहादुर सिंह 129, प्रभा शंकर मिश्र 85, अविनाश चंद्र 63, लाल बहादुर राजभर 29, मंगला प्रसाद राय 26 एवं देवी प्रसाद सिंह 9 वोट प्राप्त कर चुके हैं। इसी प्रकार महासचिव के लिए अखिलेश कुमार शर्मा 417, विक्रान्त पाण्डेय 395, राय साहब यादव 315, शशी प्रकाश सिंह 204, संतोष कुमार मिश्र 136 सहित 11 कंडीडेट हैं। मतगणना के दौरान चुनाव अधिकारी चन्दन शर्मा एवं वशिष्ठ तिवारी के अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी वी.एम जैदी, आर.सी सिंह, विनोद कान्त, प्रभाकर अवस्थी, शैलेन्द्र सिंह राठौर, कृष्ण कान्त सिंह उपस्थित रहे।

  • पेंशन का 25 फीसदी गुजारा भत्ता देना अधिक नहीं : हाईकोर्ट

    पेंशन का 25 फीसदी गुजारा भत्ता देना अधिक नहीं : हाईकोर्ट

    -पति की गुजारा भत्ता घटाने की याचिका खारिज

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पति की पेंशन का पत्नी को 25 फीसदी गुजारा भत्ता देना अधिक नहीं है। कोर्ट ने याची पति को हर माह की दस तारीख को सात हजार रुपये गुजारा भत्ता पत्नी को भुगतान करने तथा बकाये का छह माह में भुगतान करने का निर्देश दिया है।

    कोर्ट ने परिवार अदालत प्रयागराज के गुजारा भत्ता कम करने की याची पति की अर्जी को खारिज करने के आदेश को सही माना। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी पेंशन का 25 फीसदी गुजारा देने को सही माना है और याची अपनी पत्नी को 25 फीसदी से कम गुजारा दे रहा है। कोर्ट ने अपर प्रधान न्यायाधीश परिवार अदालत के आदेश की वैधता की चुनौती में दाखिल आपराधिक पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी।

    यह आदेश न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह ने माताफेर की याचिका पर दिया है। परिवार अदालत में विपक्षी पत्नी दुर्गा देवी ने धारा 125 में अर्जी दी। जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने सात हजार प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया। पति ने धारा 127 में भत्ता कम करने की मांग की। कहा कि उसकी कृषि से कोई आय नहीं है और विपक्षी उसकी वैध पत्नी नहीं है। दोनों बच्चे भी उसके नहीं हैं, जिसे कोर्ट ने नहीं माना। कोर्ट ने कहा कि परिवार अदालत ने आधार कार्ड, राशन कार्ड, स्कूल रिकॉर्ड के आधार पर बच्चे याची के माने और याची की डीएनए जांच की मांग अस्वीकार कर दी। कहा कि याची 34656 रुपये पेंशन पा रहा है और पत्नी को केवल सात हजार ही देने हैं, जो अधिक नहीं है।

  • आपराधिक केस वापसी दस्तावेज सचिवालय से गायब

    आपराधिक केस वापसी दस्तावेज सचिवालय से गायब

    -प्रमुख सचिव गृह से व्यक्तिगत हलफनामा तलब, क्या की कार्रवाई

    प्रयागराज,। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के राजकुमार सिंह के खिलाफ आपराधिक केस वापसी अर्जी मंजूर होने के बाद सचिवालय से दस्तावेज गायब होने के मामले में एक्शन न लेने पर नाराजगी जताई है। और प्रमुख सचिव गृह से तीन हफ्ते में व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है।

    कोर्ट ने पूछा है कि दस्तावेज गायब होने में लापरवाही बरतने वाले सी बी सी आई डी वाराणसी के एसपी सुरेंद्र नाथ तिवारी के खिलाफ क्या ऐक्शन लिया गया है। याचिका की अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी। कोर्ट ने याची के पक्ष में पारित अंतरिम आदेश बढ़ा दिया है।

    यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने राजकुमार सिंह की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने 28 फरवरी 2024 को तीन हफ्ते में जवाब मांगा था। विशेष सचिव गृह राकेश कुमार मालपानी ने जानकारी उपलब्ध कराई। कहा कि याची के खिलाफ आपराधिक केस वापसी के दस्तावेज गृह विभाग में नहीं हैं। विधि विभाग में पता किया जा रहा है। शासकीय अधिवक्ता ए के सण्ड ने कहा कि 1 फरवरी 14 के आदेश से याची के खिलाफ केस वापस ले लिया गया है। किंतु दस्तावेज गायब है। कोर्ट ने कहा सचिवालय से दस्तावेज गायब है, किंतु सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। जिस पर प्रमुख सचिव गृह से हलफनामा मांगा है।