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  • नगर मजिस्ट्रेट को अबैध हॉस्पिटल्स की जाँच में सीएमओ नही दे रहें साथ

    नगर मजिस्ट्रेट को अबैध हॉस्पिटल्स की जाँच में सीएमओ नही दे रहें साथ

    मऊ। जिले में अबैध हॉस्पिटलों की जाँच को बनी टीम का नगर मजिस्ट्रेट मऊ को साथ नही मिल रहा है। सीएमओ के अधीन गठित चिकित्स्कों की टीम के किसी भी डॉक्टर ने जाँच के वावत नगर मजिस्ट्रेट से सम्पर्क नही किया है।


    विभागीय सुत्रो के अनुसार जिले में अबैध हॉस्पिटल्स की जाँच के लिए जिलाधिकारी के आदेश पर सोएमओ द्वारा गठित टीम के किसी भी डॉक्टर द्वारा जाँच के वावत नगर मजिस्ट्रेट से सम्पर्क नही किया है। टीम के डॉक्टर्स का नगर मजिस्ट्रेट से सम्पर्क नही करने के कारण जिले के अबैध हॉस्पिटलों के खिलाफ जाँच का कार्य अब तक बाधित है।

    बताते चले कि सीएमओ दफ्तर जिले मैबैध हॉस्पिटलों के संचालन को निर्वाध चलने देना चाहते है और जबसे जिलाधिकारी के द्वारा जांच के लियटीम गठित करने का आदेश दिया गया है तब से सीएमओ दफ्तर के जिम्मेदारो में परेशानी है। परेशान जिम्मेदार हॉस्पिटलों की जाँच न हों इसके लिए पदीय अधिकारों का दुरूपयोग करने में कोई कर आहेश नही छोड़ने के मूड में है।

  • मऊ में  डेढ़ सौ अधिवक्ताओं के खिलाफ दर्ज मुकदमे की निष्पक्ष जांच को दुबारा दाखिल हुई जनहित याचिका

    मऊ में डेढ़ सौ अधिवक्ताओं के खिलाफ दर्ज मुकदमे की निष्पक्ष जांच को दुबारा दाखिल हुई जनहित याचिका


    मऊ। दीवानी कचहरी का सुरक्षा घेरा तोड़कर घुसे अबैध असलहे धारियों को पुलिस के कब्जे से छुड़ाने के मामले मे पुलिस द्वारा दर्ज मुकदमे की निष्पक्ष जांच के लिए उच्च न्यायालय इलाहाबाद मे जनहित याचिका दाखिल किये जाने की खबर है। यह याचिका अधिवक्ता ब्रह्मा नन्द पाण्डेय की ओर से अधिवक्ता सुधीर कुमार सिंह द्वारा दाखिल की गई है।


    उल्लेखनीय है कि बीते २८ फरवरी २०२४ को दीवानी कचहरी का सुरक्षा घेरा तोड़कर घुसे तीन अबैध असलहेधारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इसी बींच दीवानी कचहरी के एक बदमाश अधिवक्ता द्वारा गिरोह मे आकर उन तीन अबैध असलहेधारियों को पुलिस के कब्जे से छुड़ा लिया था।

    पुलिस ने मामले मे तीन नामजद साहित डेढ़ से दो सौ अधिवक्ताओं के खिलाफ ३५३ सहित भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओ मे मुकदमा पंजीकृत करते हुए कुछ लोगो को गिरफ्तार किया था।

    मामले मे पुलिस द्वारा डेढ़ से दो सौ अधिवक्ताओं के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज होने के कारण मामले की निष्पक्ष जाँच के लिए अधिवक्ता ब्रह्मा नन्द पाण्डेय ने अदालत का दरवाजा दुबारा खटखटाया है।

    इसके पूर्व भी अधिवक्ता ने मामले की निष्पक्ष जाँच के लिए जनहित याचिका दाखिल किया था। पुलिस द्वारा मऊ कोतवाली मे अपराध संख्या ६७/२०२४ पर यह मामला दर्ज है।

    अधिव्क्ता रुपेश पाण्डेय को बार काउंसिल की नोटिस, अधिवक्ता पर बिपक्षी से मिलकर मुकदमा वापस लेने का आरोप

    मऊ। विपक्षियों से मिलकर मुकदमा वापस लेने वाले दीवानी कचहरी के अधिवक्ता रुपेश पाण्डेय को बार काउंसिल ने 11 अगस्त को तलब किया है। रुपेश पर अपने मूवक्कील की बिना सहमति लिए विपक्षियों से मिलकर पुरा मुकदमा वापस लेने का आरोप है।

    ब्रह्मा नन्द पाण्डेय की ओर से अधिवक्ता रुपेश कुमार पाण्डेय के खिलाफ बार कौंसिल में अधिवक्ता अधिनियम की धारा 35 में प्रार्थना पत्र दिया गया है। बार कौंसिल प्रयागराज की ओर से अधिवक्ता रुपेश कुमार पाण्डेय के खिलाफ प्रस्तुत शिकायत में उनके पर विपक्षी से मिलकर मुकदमे को वापस लेने का आरोप है।

  • मऊ मे बिना काम कराये ग्राम प्रधान देवदह लोगो के नाम बांट रही मजदूरी, घोटाला

    मऊ मे बिना काम कराये ग्राम प्रधान देवदह लोगो के नाम बांट रही मजदूरी, घोटाला


    — पंचायत के खाता संख्या १५९ की पोखरी प्रथम मे कार्यक्रम अधिकारी ने पकड़ी खामिया, अब तक नही हुई एफ आई आर

    मऊ। विकास खंड रत्नपुरा के ग्राम पंचायत देवदह की ग्राम प्रधान और सचिव व तकनीकी सहायक के द्वारा ग्राम प्रधान के भाई भतीजो के नाम भी मजदूरी निकाले जाने की खबर है। मनरेगा से ग्राम प्रधान और सचिव द्वारा पदीय अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए जिओ टैगिंग के बिपरीत जा कर सरकारी धनों की बंदर बांट की गई है।


    विभागीय सूत्रों के अनुसार विकास खंड रतनपुरा के ग्राम पंचायत देवदह के ग्राम प्रधान और सचिव व तकनीकी सहायक ने मिलकर मनरेगा से कार्य कराने के नाम पर ऐसे लोगो भी मजदूरी दी है जिनका जिओ टैगिंग से दूर दूर तक वास्ता सरोकार तक नही है।

    ग्राम प्रधान और सचिव ने ऐसे लोगो को भी भुगतान किया है जिन्होंने काम तक नही किया है, लेकिन उनके खाते मे कार्य कराये गये दिवस मे कार्यस्थल से कोई लेना देना नही है, ये मजदूर कार्य स्थल पर भी जिओ टैगिंग मे नही है। पंचायत के गाटा संख्या १५९ पर मनरेगा के तहत खुदवाई गई पोखरी प्रथम मे ग्राम प्रधान ने १८८ मजदूरों को मजदूरी दे दी है।

    इसमे ऐसे लोग भी शामिल है जो कार्य स्थल पर कभी गये तक नही है। कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा ने केशर चौहान को पत्र जारी कर जबाव तलब किया है, लेकिन ग्राम प्रधान के ऊँचे राजनितिक रसुख के कारण मामले मे न तो विधिक कार्यवाही हों रही है और न ही विभागीय कार्यवाही।

    ग्राम प्रधान और सचिव मनरेगा मे कार्य को लेकर पदीय अधिकारों कि आड़ मे मनमानी करते हुए ग्राम प्रधान तक के रिस्तेदारो के नाम तक मजदूरी निकालने मे लगे है।

  • “वंदना नर्सिंग होम” ने हाई टेंशन वायर को खुद हटाने का उच्च न्यायालय को दिया आश्वाशन

    “वंदना नर्सिंग होम” ने हाई टेंशन वायर को खुद हटाने का उच्च न्यायालय को दिया आश्वाशन

    अधिवक्ता सुधीर कुमार सिंह ने वंदना नर्सिंग होम की अबिधाणिकता को लेकर उच्च न्यायालय में दाखिल किया था जनहित याचिका

    23 को सुनवाई दौरान वंदना नर्सिंग होम प्रबंधन ने जनहित याचिका में लगे आरोप को स्वीकार कर, हाई टेंशन् वायर को खुद हटाने का अदालत को दिया भरोसा


    मऊ। वंदना नर्सिंग होम ने खुद के भवन के उपर से गुजर रहें हाई पावर वायर को हटाने का उच्च न्यायालय को अस्वाशन दे कर दूसरी आफत मोल ले लिया है। नर्सिंग होम की वकालत में नर्सिंग होम अपने ही “जाल” में फंस गया है। यानी साफ हो चुका है कि बिना हाई पावर वायर के हटे उनका हॉस्पिटल संचालित नही हो सकता है । हॉस्पिटल प्रबंधन ने हाई टेंशन वायर को खुद के उपर से गुजरने की स्वीकारोक्ति दी है।


    हॉस्पिटल सूत्रों के अनुसार वंदना नर्सिंग होम के खिलाफ उच्च न्यायालय में अधिवक्ता सुधीर कुमार सिंह की ओर से इनपर्सन दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान इन्होने अपने वकील के माध्यम से हॉस्पिटल भवन के उपर से हाई टेंशन वायर के गुजरने की स्वीकृति के साथ उसको हटवा लेने का अदालत को अस्वाशन दिया है।

    हॉस्पिटल प्रबंधन के इस अस्वाशन को देखते हुए अदालत ने जनहित याचिका को डिस्पोज कर मामले में आदेश जारी कर दिया है। आदेश के मुताविक वंदना नर्सिंग होम को अपने अस्पताल भवन के उपर से गुजर रहें हाई टेंशन वायर को हटाने के दिये गये अश्वासन को स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय ने याचिका डिस्पोज कर दिया है।

    अदालत ने याचिककर्ता को भी आगे की जाने वाली विधिक कार्यवाही में सक्षम अधिकारी के समक्ष भाग लेने के लिए प्राधिकृत किया है।

  • अधिवक्ता ने कहा, चेंबर मे भी मुझसे नहीं मिल रही हैं आप

    अधिवक्ता ने कहा, चेंबर मे भी मुझसे नहीं मिल रही हैं आप

    चिल्लाते कहे सही नहीं कर रही हो, यहाँ काम करना है तो हमारे अनुसार करना होगा

    आर्डरशीट की प्रति मंगलवार को मिलते ही कचहरी परिसर मे दिन भर रही चर्चा

    मऊ। महिला न्यायिक अधिकारी से एक अधिवक्ता द्वारा न्यायालय में यह कहना कि आप ” चेंबर में भी मुझसे नहीं मिल रही है “, सही नहीं कर रही हो, यहाँ काम करना है तो हमारे अनुसार करना होगा ” के बात की मंगलवार को दिनभर चर्चा रही। अधिवक्ता के इस कथन के प्रमाणक जैसे ही एक अधिवक्ता के हाथ लगा, दीवानी कचहरी में चर्चाओ का बाजार गर्म हो गया। अधिवक्ता द्वारा कहा गया यह कथन किसी और से नही बल्कि सिविल जज जूनियर डिवीजन सदर मऊ से है। सीजेजेड़ी ने अधिवक्ता के इस कथन को मामले की ऑर्डरसीट में उल्लिखित किया गया है। इस की जानकारी मंगलवार को आर्डरशीट की नकल मिलने पर अधिवक्ताओ को हुई। तो पढ़कर सभी दंग रह गए, जिसकी चर्चा दीवानी कचहरी परिसर में दिनभर होती रही। इसी अधिवक्ता द्वारा कुछ दिन पूर्व एक अन्य पिठासीन अधिकारी से दुर्ब्यवहार किया गया है।


    अदालती सूत्रों के अनुसार न्यायालय सिविल जज जूनियर डिवीजन सदर मऊ के न्यायालय में मुकदमा संख्या 727 सन 1990 विश्वकर्मी बनाम गामा आदि के मामले में सुनवाई के दौरान 9 जनवरी 24 को पत्रावली के आर्डरशीट में महिला न्यायिक अधिकारी ने अंकित किया है। पत्रावली पेश हुई, प्रतिवादी अधिवक्ता मय प्रतिवादी उपस्थित वादी मय अधिवक्ता उपस्थित।

    पत्रावली में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अजय सिंह डायस की तरफ आक्रमक रवैया में आए और कहने लगे आप सिर्फ एक्शन प्लान और माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश वाली पत्रावलियां सुनती है। आप उन्हें क्यों सुनती है, आप और नई पत्रावलियां भी सुनो वरना अच्छा नहीं होगा। आप चेंबर में भी मुझसे नहीं मिल रही है।

    न्यायिक अधिकारी ने ऑर्डरशीट में आगे लिखा है कि मैंने कहा कि आपकी बातों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। तो भी वो चिल्लाते रहे कि आप सही नहीं कर रही है, यहां काम करना है तो हमारे अनुसार ही करना होगा। पिठासीन अधिकारी ने मामले की ऑर्डर सीट में लिखा है कि उनके द्वारा बार-बार आश्वासन दिए जाने पर भी वे अधिवक्ता लगातार चिल्लाते रहे और बोले सोच लीजिए आप अन्यथा फिर देखते हैं क्या होगा। यह कहते आंखें दिखाते हुए चले गए।

    सिविल जज जूनियर डिवीजन सदर के उक्त आदेश की जानकारी मंगलवार को दीवानी कचहरी मे अधिवक्ताओ को हुई तो पढ़कर सभी हैरान रह गए कि महिला न्यायिक अधिकारी को न्यायालय मे किसी अधिवक्ता द्बारा ऐसा कहा जाना किसी भी दशा मे सही नहीं है। जिसे लेकर कचहरी परिसर मे चर्चाए होती रही , इस अधिवक्ता द्वारा हाल के दिनों में एक और जज से अदालत में दुर्ब्यवहार किया जा चुका है, जिसमे अगली कार्यवाही का लोगो को इंतज़ार है।

    पुलिस् के कब्जे से अवैध असलहेधारियो को छुड़ाने के मामले में जनहित याचिका की तैयारी

    मऊ । दीवानी कचहरी में बीते २८ फरवरी २०२४ को पुलिस की कास्टडी से अबैध असलहेधारियो को छुड़ाने में पुलिस द्वारा १५० से २०० अधिवक्ताओं के खुलाफ दर्ज मामले की निष्पक्ष जाँच के लिए जल्द ही उच्च न्यायालय का अधिवक्ता ब्रह्मा नन्द पाण्डेय के द्वारा जनहित याचिका दाखिल की जाएगी। पूर्व में अधिवक्ता इसी मामले में जनहित याचिका दाखिल कर चुके है।

    पुलिस् सूत्रों के अनुसार के दीवानी कचहरी मऊ में २८ फ़रवरी २०२४ को चार पहिया सवार बदमाशों ने पुलिस सुरक्षा को तोड़कर दीवानी कचहरी में घुस गये थे। मामले में पुलिस द्वारा चार पहिया वाहन सवार बदमाशों में शामिल अबैध असलहेधारियो को मौके पर गिरफ्तार कर लिया गया था।

    गिरफ्तारी के बाद बदमाशों के संरक्षण दाता बदमाश अधिवक्ता द्वारा द्वारा कुछ अधिवक्ताओं की गोल बनाकर अबैध असलहेधारियों को पुलिस के कब्जे से छुड़ा लिया गया था। मामले में पुलिस ने कुछ लोगो को नामजद करते हुए अज्ञात डेढ़ सौ से दो सौ अधिवक्ताओं के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा आदि के अपराध के आरोप में मुकदमा पंजीकृत किया है।

    इस मुकदमे की निष्पक्ष जांच के लिए उच्च न्यायालय के अधिवक्या ब्रह्मा नन्द पाण्डेय द्वारा पूर्व में जनहित याचिका दाखिल की गई थी जिसमे अदालत में सरकार ने मामले आरोपित अधिवक्ताओं की संख्या को अधिक बताते हुए अदालत समय ले लिया था। अब जब विवेचना के 3 माह से अधिक का समय बित गया है, आज तक मामले में पुलिस की कार्यवाही का अता पता नही है, तो इस मामले को लेकर दुबारा मा उच्च न्यायालय में जनहित याचिका की तैयारी की जा रही है।

  • मऊ में लिफाफे के जोर पर संचालित हो रहा अबैध राहुल हॉस्पिटल

    मऊ में लिफाफे के जोर पर संचालित हो रहा अबैध राहुल हॉस्पिटल

    हॉस्पिटल की बिल्डिंग है पोखरे में तो हॉस्पिटल का भवन भी है एनबीसी २००५ और महायोजना के खिलाफ

    हॉस्पिटल के सामने रोज खड़े होते है बे- तरतीब वाहन, सड़क तक रहता है अबैध कब्जा फिर भी जिम्मेदार नही करते कार्यवाही

    नियमानुसार हॉस्पिटल में नही है पार्किंग की व्यवस्था और न है हॉस्पिटल भवन के चारो ओर एनबीसी में प्रस्तावित ६ मीटर प्रसवित सेट बैक


    मऊ । लिफाफे के जोर पर कैसे कोई अबैध हॉस्पिटल इलाज के नाम पर कुलांचे मारता है ? यह जानना हो तो जिला प्रसाशन की नाक के नीचे पोखरे की जमीन में स्थित राहुल हॉस्पिटल को देखिये।

    इसके स्वामी ने पर्यावरण को प्रभावित करती जमीन पर हॉस्पिटल का भवन ही नही बनाया है, यह हॉस्पिटल का भवन पुरी तरह से नेशनल बिल्डिंग कोड और जिले की महायोजना को मुह भी चिढ़ा रहा है, बावजूद इसके इस हॉस्पिटल के अबैध संचालन को लेकर जिला प्रसाशन मुह खोलने को तैयार नही है।

    सड़क पर बे- तरतीब खड़े वाहनो का कारण है राहुल हॉस्पिटल

    अबैध होकर अधिकारियो में लिफाफा बांट कर राहुल ने जिस घमड़ में आधी सड़क को भी कब्जा कर रखा है। यह उसके लिफाफे का जोर कहे या फिर राजनितिक ऊंची रसुख ! इस अबैध हॉस्पिटल का कोई पुरसाहाल नही है। बेरोक टोक चल रहा है यह हॉस्पिटल।

  • आप नौकर हैं, सरकार से पैसा लेते हैं , औकात में रहकर बात करिए

    आप नौकर हैं, सरकार से पैसा लेते हैं , औकात में रहकर बात करिए

    मऊ। दीवानी कचहरी में कार्यरत न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में विचाराधीन एक मुकदमे में अभियुक्तों को दुष्कर्म की धारा के अतिरिक्त अन्य धाराओं में तलब करने के लिए प्रार्थना पत्र की सुनवाई के दौरान एक अधिवक्ता ने न्यायिक मजिस्ट्रेट से कहा कि आप नौकर हैं, आप सरकार से पैसा लेते हैं, मैं नहीं, औकात में रह कर बात करिए। मैं उम्र व औकात में आपसे बहुत बड़ा हूं, आपकी औकात क्या है मेरे सामने ?— आप जानते नहीं हैं, आप किससे बात कर रहे हैं। मैं बार का पूर्व महामंत्री हूं ,आपको आपकी औकात दिखा दूंगा। यह डायलॉग किसी फिल्म का नहीं बल्कि दीवानी कचहरी के अधिवक्ता अजय सिंह के है, इन्होने एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान न्यायिक मजिस्ट्रेट से कहा है।

    न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मामले का संज्ञान लेते हुए अधिवक्ता की बातों को पत्रावली की आर्डरशीट में उल्लेख करते हुए, जनपद न्यायाधीश को आदेश की एक प्रति के साथ ही पत्र प्रेषित किया। तथा अनुरोध किया कि वह उचित समझे तो अधिवक्ता के द्वारा प्रयोग की गई अभद्र भाषा व अमर्यादित आचरण को उच्च न्यायालय इलाहाबाद व उत्तर प्रदेश बार काउंसिल इलाहाबाद के संज्ञान में लाने की कृपा करें। साथ ही मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को भी आदेश की प्रति इस आशय के साथ भेजा कि अधिवक्ता। अजय कुमार सिंह की सभी पत्रावलियां जो उनके न्यायालय में लंबित हैं उसे किसी अन्य न्यायालय में अंतरित कर दिया जाए।


    मामले के अनुसार न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में परिवाद संख्या 30 832 सन् 23 संगीता बनाम सूर्यभान चौहान विचाराधीन चल रहा है। जिसमें 19 जुलाई की तिथि नियत थी। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पत्रावली के आर्डरशीट में लिखा कि भोजनावकाश के बाद कार्य समाप्त कर विश्राम कक्ष में बैठकर 3:15 पीएम पर प्रकीर्ण मामलों के आदेश की जांच कर रहा था। मुझे 3:30 पीएम पर बेलबांड स्वीकार करने हेतु कोर्ट में बैठना था। इस दौरान परिवादी के अधिवक्ता अजय कुमार सिंह विश्राम कक्ष में आए बैठ गए, और कहने लगे कि पत्रावली में पारित आदेशानुसार मैंने गवाहों की सूची प्रस्तुत की है।

    मामले में गवाहों को न बुलाकर सुनवाई कर अभियुक्तों को धारा 376 भादवि के अतिरिक्त अन्य धाराओं में तलब कर दीजिए। उस समय पेशकार आशुलिपि और अर्दली भी मौजूद थे पेशकार ने कहा कि प्रार्थना पत्र विलंब से आया है। इस दौरान अधिवक्ता अजय कुमार सिंह बोले की सुनवाई आज ही होगी। मैंने उनसे कहा कि आप कोर्ट में चलिए सुनवाई वही होगी। इस बात पर वह नाराज हो गए और बोले कि आप मुझे वहां जाने को क्यों कह रहे हैं। आप तो यहीं बैठे हुए हैं आपको कोर्ट में होना चाहिए,, वह खड़े हो हुए और गुस्से से मेरी तरफ झुककर हाथ दिखाते हुए बोले कि मैं आपका चपरासी हूं क्या, जो आप जब चाहे बुला ले और मैं आपके इंतजार में खड़ा रहूं।

    आप नौकर हैं, आप सरकार से पैसा लेते हैं, मैं नहीं। औकात में रहकर बात करिए, मैं उम्र और औकात में आपसे बहुत बड़ा हूं। आपकी औकात क्या है मेरे सामने ? आप मेरी इज्जत करेंगे तो ही आपको इज्जत मिलेगी, आप जानते नहीं है आप किससे बात कर रहे हैं। मैं बार का पूर्व महामंत्री हूं आपको आपकी औकात दिखा दूंगा।


    न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आर्डरशीट में उल्लेख किया कि अधिवक्ता अजय कुमार सिंह ने अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए अमर्यादित आचरण एवं व्यवहार दर्शाया है।

  • जिला पंचायत अध्यक्ष मऊ को उच्च न्यायालय की नोटिस

    जिला पंचायत अध्यक्ष मऊ को उच्च न्यायालय की नोटिस


    मऊ । जिला पंचायत अध्यक्ष मऊ के चुनाव के विरुद्ध ,चन्द्रशेखर राय उर्फ नन्दन ने जनपद न्यायाधीश मऊ के समक्ष याचिका सँख्या 139/2022 योजित किया था ,जिसको जनपद न्यायाधीश मऊ ने अपने आदेश दिनाँक 20 /3/2024 के द्वारा विलम्ब के आधार पर निरस्त कर दिया था । चन्द्रशेखर राय ने जनपद न्यायाधीश के इस आदेश को याचिका संख्या 8160/2024 अंतर्गत अनुच्छेद 227 के माध्यम से उच्च न्यायालय में चुनौती दिया था ।
    जिस पर दिनांक 22/7/2024 को सुनवाई करते हुये ,उच्च न्यायालय ने जिला पंचायत अध्यक्ष मऊ को नोटिस जारी किया है ।
    चंद्र शेखर राय की ओर से उनके द्वारा नियुक्त अधिवक्ता ब्रह्मा नंद पाण्डेय व सुधीर कुमार सिंह ने मामले में वकालत की है ।

  • जिला फुटबाल संघ और मऊ स्पोर्टिंग क्लब के बीच विवाद समाप्त, समन्वय स्थापित करने का भी निर्णय

    जिला फुटबाल संघ और मऊ स्पोर्टिंग क्लब के बीच विवाद समाप्त, समन्वय स्थापित करने का भी निर्णय

    मऊ स्पोर्टिंग क्लब की नई कार्यकारिणी का गठन

    मऊनाथ भंजन। मऊ स्पोर्टिंग क्लब जनपद मऊ की सबसे पुरानी फुटबाल क्लब है। मुहल्ला हैदर नगर में मौलाना अब्दुल्लतीफ नोमानी स्टेडियम के नाम से मऊ स्पोर्टिंग क्लब का अपना ग्राउण्ड है। इस ग्राउण्ड पर अनेकों बार राष्ट्रीय स्तर के फुटबाल टुर्नामेंट का आयोजन हो चुका है। मऊ स्पोर्टिंग क्लब के अनेकों खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय स्तर पर मऊ का नाम रौशन किया है। 

    पिछले कुछ वर्षाें से जिला फुटबाल संघ और मऊ स्पोर्टिंग क्लब के बीच विवाद के कारण मऊ स्पोर्टिंग क्लब की तरक्की का रास्ता बाधित रहा। मऊ स्पोर्टिंग क्लब के उपाध्यक्ष पूर्व सांसद सालिम अंसारी और नगर पालिका अध्यक्ष अरशद जमाल के हस्तक्षेप के बाद पालिकाध्यक्ष के आवास पर एक मीटिंग हुयी जिस में सभी पहलुओं पर चर्चा के उपरान्त सर्वसम्मति से निर्णय हुआ कि जिला फुटबाल संघ और मऊ स्पोर्टिंग क्लब के विवाद को तत्काल समाप्त करते हुये जिला फुटबाल संघ मऊ और उ0प्र0 फुटबाल संघ के नेतृत्व में मऊ स्पोर्टिंग क्लब आगे बढ़ेगी तथा फुटबाल संघ उत्तर प्रदेश के निर्देशों का पालन करते हुये जनपद में फुटबाल की तरक्की में मऊ स्पोर्टिंग क्लब अग्रणी भुमिका निभायेगी।

    बैठक में यह भी तय हुआ कि मऊ जपनद में जितनी भी फुटबाल क्लब हैंे सभी के पदाधिकारियों से वार्ता कर के फुटबाल संघ उ0प्र0 से समन्वय बनाने का प्रयास किया जाये, जिसके लिये नगर पालिकाध्यक्ष अरशद जमाल को जिम्मेदारी सौंपी गयी कि वह मऊ की सभी क्लबों के पदाधिकारियों से बात करेंगे। 
    
    बैठक में मऊ स्पोर्टिंग क्लब की नई कार्यकारिणी का सर्वसम्मति से गठन हुआ जिसमें हाजी मुल्तान अहमद को अध्यक्ष, पूर्व सांसद मु0 सालिम अंसारी, नगर पालिकाध्यक्ष अरशद जमाल, मुहम्मद ओवैस तरफदार, जमील सेठ, आनंद कुमार गुप्ता को उपाध्यक्ष, खुर्शीद अहमद को सेक्रेट्री, गिरीश चन्द को ज्वाइंट सेक्रेट्री, मुहम्मद मुस्तफा चमन को कोषाध्यक्ष के साथ ही हाजी शमशाद अहमद, हाजी शमीम अहमद, एजाज अहमद सीए, डा0 मुहम्मद तैय्यब, हाजी मुम्ताज अहमद शिमला, मुहम्मद राशिद ज्या, अरशद अल्मास, अब्दुल्लाह नूर जरी, इश्तियाक एजेंट, मास्टर शमीम सभासद, गुफरान साजिद, शोबान नोमानी, गजनफर अली, ओम प्रकाश गुप्ता, नसीम अहमद हलचल, मु0 सदाकत को क्लब कमेटी का सदस्य नामित किया गया है। बैठक की अध्यक्षता हाजी मुल्तान अहमद और संचालन खुर्शीद हैदर ने किया।

  • मऊ में गोटी बैठाने को सीएमओ दफ्तर में, सीएमओ साथ अबैध हॉस्पिटलो के चिकत्सकों की बैठको का दौर

    मऊ में गोटी बैठाने को सीएमओ दफ्तर में, सीएमओ साथ अबैध हॉस्पिटलो के चिकत्सकों की बैठको का दौर

    सीएमओ को पटाने में जुट गये है बिना एनबीसी २००५ के तहत निर्मित अबैध हॉस्पिटल्स के चिकित्सक, सीएमओ के साथ चल रहा है बैठको का दौर

    मऊ। मुख्य चिकित्साधिकरी मऊ के कार्यालय में अबैध तरीके से निजी नर्सिंग होम संचालित कर रहें चिकत्सको का दबाव देखा जा रहा है। बंदना नर्सिंग होम पर कार्यवाही को लेकर चल रहें मंथन में सीएमओ पर सीलिंग की कार्यवाही को नही किये जाने का दबाव सामने देखा जा रहा है।


    विभागीय सूत्रों के अनुसार विना एनबीसी २००५ निर्मित दो दो खंडो में तथ्यगोपन कर हॉस्पिटल भवन के नक्शे को नियत प्राधिकारी कार्यालय से स्वीकृत कराने वाले चिकित्सक सत्य नन्द राय,पोखरे की जमीन पर बिना एनबीसी २००५ निर्मित हॉस्पिटल के भवन को सीएफओ के जाली हस्ताक्षर से नक्शा पास कराने वाले राहुल हॉस्पिटल के चिकित्सक सुरेंद्र राय और बिजली के तार के नीचे रिहायसी भवन में संचालित बंदना नर्सिंग होम के चिकित्सक के सी राय आदि ने सीएमओ दफ्तर में बैठ अपनी अपनी गोटी बैठाने ले लगे है।

    उल्लेखनीय है कि मा उच्च न्यायालय में दाखिल जनहित याचिका के बाद बंदना नर्सिंग होम पर बंदी कि तलवार को गिरने से रोकने के लिए बिना एनबीसी निर्मित अबैध हॉस्पिटलो में राहुल हॉस्पिटल, सत्यम हॉस्पिटल और बंदना नर्सिंग होम के चिकित्सकों ने कुछ दर पहलें सीएमओ दफ्तर में उपस्थित हुए है। सीएमओ के साथ ये चिकित्स्क कौन सी “डील” को धरातल पर उतारने को इच्छुक है ? खरी दुनिया को कोई अधिकारिक जानकारी हाथ नही लगी है लेकिन बैठको का दौर जारी है।

    बताते चले कि बिभागीय हरकत को देखते हुए बंदना नर्सिंह होम ने हॉस्पिटल को खुद ही बंद करने का सपथ पत्र दे दिया है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह सपथ पत्र कार्यवाही में काफी होगा ?। मामले में 23 जुलाई 2024 को इस मामले में उच्च न्यायालय में डीएम को जबाव देना है।